Monday 24 June 2019

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा की आगे सारे चुनाव अकेले ही लड़ेंगी


बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को ट्वीट करके जानकारी दी है कि बसपा अब आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी। आपकों बता दूं कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मायावती ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया था। लोकसभा चुनाव में यूपी में बसपा ने दस और सपा ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी।

मायावती ने ट्वीट करके कहा है कि बीएसपी की ऑल इण्डिया बैठक रविवार को लखनऊ में ढाई घण्टे तक चली। इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था। फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं वे पूरी तरह से सही नहीं हैं जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था।

वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरुद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया। परन्तु लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। अतः पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।

बसपा प्रमुख मायावती ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद पहली बार रविवार को पार्टी मुख्यालय पर हुई अखिल भारतीय स्तर की बैठक में कहा कि चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने उन्हें फोन नहीं किया। सतीश मिश्रा ने उनसे कहा कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और मतगणना के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनकी पत्नी डिंपल यादव और परिवार के अन्य लोगों के हारने पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि 3 जून को जब मैंने दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात कही तब अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन तब भी मुझसे बात नहीं की। उन्होंने कहा कि भितरघात होता रहा और अखिलेश ने भितरघात करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की। अगर यादवों का पूरा वोट गठबंधन को मिलता तो बदायूं, फिरोजाबाद और कन्नौज जैसी सीटें सपा न हारती।

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