Tuesday 7 May 2019

सवर्णो के संग खाने पर दलित को मार डाला

एक तऱफ संवर्ण रिजर्वेशन को लेकर बात कहते है कि निचली जाति को रिजर्वेशन नही देना चाहिए । सरकार के आगे विरोध प्रकट करते हैं लेकिन जात-पात के फितूर को खत्म भी नही करना चाहते हैं। खाना खाने कि ये कैसी बेरुखी जो संवर्णो को हज़म नही हुई और एक बेकसूर की जान लेली।

नैनबाग टिहरी के जितेंद्र दास को संवर्णो के साथ खाना खाना इतना महंगा पड़ गया कि उसे संवर्णो ने जात-पात के भेदभाव के चलते इतनी बेरहमी से मारा की अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। ये दुःखद खबर सुनते ही हंसते खेलते परिवार में मातम छा गया। जितेंद्र कि बहन ने पुलिस के रवैये पर साफ तौर पर कहा है कि पुलिस के द्वारा परिवार पर दबाव भी बनाया गया कि वे मुक़दमा वपास ले लें।

परिजन और ग्रामीण देहरादून पहुंचे और पुलिस की कार्रवाई से नाराज़ परिजन मृतक के शव को लेकर मुख्यमंत्री आवास जाना चाह रहे थे लेकिन भारी पुलिस बल ने सबको रोक लिया और कार्रवाई का आश्वासन दिया, आख़िरकार नौ दिन के बाद जब युवक की मौत हो गई तब जाकर पुलिस नामजद तीन आरोपियों को गिरफ़्तार कर पाई है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ये ग़रीब परिवार अब बेटे, भाई को वापस तो नही ला सकता लेकिन न्याय की गुहार लगा रहा है, पुलिस ने मौत के बाद तीन लोगों की गिरफ्तारी की है। परिजनों का कहना है कि 7 लोगों के खिलाफ नामजद मुक़दमा दर्ज है लेकिन इतनी बड़ी बात हो जाने के बाद भी अभी आरोपी गिरफ्त से बाहर हैं, पुलिस ने तीन की गिरफ्तारी भी तब की है जब जान चली गई।

वहीं हताश और निराश, अपने बेटे को खोये परिजनों का कहना है कि जब तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नही हो जाती तब तक अंतिम संस्कार नही किया जाएगा। मृतक की लेकिन बेसहारा और लाचार बहन ने अपने भाई के इंसाफ के लिए लड़ाई को जारी रखा है। पुलिस पर ये सवालिया निशान खड़े होते हैं कि इतनी बेरहमी से बिना किसी कसूर के जितेंद्र को मार डालने की बाद भी पुलिस का ये कैसा चेहरा जो इंसाफ दिलाने के बजाय मुक़दमा वपास लेने की बात कह रहा है।

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