Monday 13 May 2019

उत्तराखंड में फैला भिखारीयों का आतंक

चारधाम यात्रा के शुरु होते ही देवभूमी के प्रवेश द्वार कही जाने वाली धर्मनगरी हरीद्वार में हरकीपौडी का इंतजाम अभी कुछ ठीक नही है। जिसमें श्रद्धालुओं की परेशानी का मख्य कारण घाटों और मंदिरों की सीढियों पर बैठे भीखारी हैं। अनुमान के मुताबिक हरिद्वार में इन भिखारियों की संख्या करीब 750 है।

हरकीपौड़ी क्षेत्र में अक्सर देखा जाता है कि जब कोई तीर्थ यात्री भिखारियों को दान देता है तो यात्रियों को भिखारी बुरी तरह घेर लेते हैं, यात्री को उनसे पीछा छुड़ा पाना काफी भारी पड़ जाता है। बाहर से आये तीर्थ यात्रियों का कहना है कि उन्हें इस तरह का व्यवहार उचित नही लगता। जानकारों का ये सुझाव भी हैं सरकार को भी इनके बारे में अलग से ये व्यवस्था करनी चाहिए जहाँ वे अपना दान पुण्य कर सके और उसका सीधा लाभ इन भिखारियों को मिल सके।


उत्तराखंड हाईकोर्ट भी भिखारियों की हटाने के लिए कई बार आदेश दे चुकी है लेकिन बावजूद इसके हरकीपौडी को भिखारियों से मुक्त करना पुलिस के बस की बात नहीं है। सिटी एसपी कमलेश उपाध्याय की मानें तो भिक्षुक अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। लेकिन श्रद्धालू भी इन भिखारियों को बढावा देते है। जिस वजह से इस संबध में कई स्वयंसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जा रही है। पुलिस का दावा है कि उन्होंने भिखारियों का सत्यापन भी कर रखा है।

महत्वपूर्ण स्नानपर्वों और वीआईपी आगमन के पूर्व हरकीपैड़ी पर भिखारियों को पकड़ने का अभियान चलाया जाता है। फिर इन्हें पकड़ के भिक्षुकग्रह भेजा जाता है, लेकिन स्थाई व्यवस्था ना होने के कारण भिखारी वापस आ जाते हैं और समस्या जस की तस बनी रहती है।

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