Tuesday 2 April 2019

हार्दिक पटेल हुए 2019 लोकसभा चुनाव से बाहर

हार्दिक पटेल अब आम चुनाव में नहीं उतर पायंगे और इसका कारण है 2015 में गुजरात के मेहसाणा में दंगा भड़काने का मामला है। उनकी सजा को निलंबित करने को लेकर दी गयी याचिका को शीर्ष अदालत ने तत्काल सुनवाई से साफ़ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने तर्क में कहा है की इस पर तत्काल सुनवाई की अभी कोई आवश्यकता नहीं है। इसके सन्दर्भ में सुनवाई की तारीख 4 अप्रैल तय की गई है। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका को रद्द कर दिया था।

पहले हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के कारण अब वह कांग्रेस की और से भी लोकसभा सीट पर भी नामांकन नहीं कर पायंगे। जामनगर लोकसभा सीट के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है, ऐसे में शीर्ष अदालत की ओर से मामले की सुनवाई से इनकार साफ है कि हार्दिक अब चुनावी समर में नहीं उतर सकेंगे।

पीपल्स रिप्रजेंटेटिव ऐक्ट, 1951 के मुताबिक हार्दिक पटेल अपनी सजा के कारण इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस कानून के तहत दो साल या इससे अधिक की सजा पाए नेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन से उभरे 25 साल के हार्दिक पटेल ने 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने के बाद जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी।

दरअसल मेहसाणा जिले के सेशन कोर्ट ने 2015 में विसनगर में पाटीदार आंदोलन के दौरान हुए दंगे और आगजनी के मामले में हार्दिक पटेल को दोषी करार दिया था। बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ और आगजनी के मामले में हार्दिक पटेल और उनके साथियों को दो साल की सजा सुनाई गई थी।
हार्दिक के लिए यह है आखिरी रास्ता!

सुप्रीम कोर्ट ने हार्दिक की याचिका पर सुनवाई के लिए 4 अप्रैल की तारीख तय की है। जामनगर लोकसभा सीट पर नामांकन के लिए भी यह आखिरी दिन है। ऐसे में शीर्ष अदालत यदि उनकी सजा को निलंबित करती है तो उनके पास उस दिन नामांकन का विकल्प होगा। हालांकि इसके लिए यह जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी अपना उम्मीदवार तब तक घोषित न करे। गौरतलब है कि गुजरात में एक ही चरण में 23 अप्रैल को मतदान होना है।

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