Tuesday 12 February 2019

प्रधानमंत्री की कुर्सी पर घमासान


साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी बस कुछ दिन ही बाकी है ऐसे में बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने अपनी कमर कस ली है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी हाल ही में तीन राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश की सत्ता गंवा चुकी है। इस बड़े झटके के बाद बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। वहीं कांग्रेस ने भी सत्ता की कुर्सी को जीतने में पूरी ताकत लगा दी है। चुनावों में सत्ता की कुर्सी जीतने के रेस में विपक्षीयों ने एकजुट होकर महागठबंधन करने का फैसला किया है। जिसका वार भाजपा पर भारी पड़ने वाला है। विपक्षीयों के इस दांव ने राजनीतिक मैदान में भाजपा को निशाना बनाया गया है। ऐसे में सभी दल बीजेपी के खिलाफ खड़े होते नजर आ रहे है।



लोकसभा के चुनावी जंग में सत्ता की तरफ कदम बढ़ाते हुए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा की राजनीति में एंट्री कराकर मिशन 2019 और 2022 पर काम करना शुरु कर दिया है। कांग्रेस का पहला प्लान है कि आगामी लोकसभा चुनावों को जीतना और दूसरा प्लान है यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के तहत प्रदेश की राजनीति में जगह बनाना। हालांकि कांग्रेस 1989 से ही प्रदेश की राजनीति में जगह बनाने में सफल नही हो पाई है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) हावी हो गए हैं। वहीं, कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पार्टी का उद्देश्य लोकसभा में सीटें हासिल करना है और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाना है। ऐसे में इस मिशन में प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। इस पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के इस फैसले को कांग्रेस की हार बताया है। बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी है, उन्होंने स्वीकार किया है कि राहुल गांधी फेल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन से नकारे जाने के बाद बैसाखी परिवार से ही ढूंढी जा रही है।



प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी लोकसभा चुनाव पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। ममता हर वो काम करने को तैयार है जो उन्हें पीएम की सत्ता तक पहुंचा सके। ममता ने इन दिनों हिंदी पर जोर देना शुरू कर दिया है। साथ ही वो अपनी छवि को राष्ट्रव्यापी बनाने के लिए ऐसा कर रही है और पार्टी के अन्य नेताओं को भी यही सलाह दे रही है। इधर मायावती ने भी लोगसभा चुनाव से पहली बार सोशल मीडिया की तरफ कदम बढ़ा लिया है। इससे पहले मायावती का कहना था कि मेरा वोटर न अखबार पढ़ते है और ना ही टीवी देखते है। लेकिन इस बार मायावती के सोशल मीडिया पर आने कि वजह भाजपा को पिछले बार चुनाव में सोशल मी़डिया से मिलने वाला फायदा है।



यह बात भी सच है कि भारत के राजनीति में प्रधानमंत्री तक पहुंचने तक का रास्ता उत्तर प्रदेश से होते हुए निकलता है, लेकिन अब यह रास्ता पहली बार पश्चिम बंगाल से भी गुजर रहा है। इस चुनाव में खास बात यह है की पहली बार उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल दोनों जगहों से तीन महीलाएं लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रही हैं। लेकिन भाजपा ने भी लोकसभा चुनाव में जीत हासील करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। अभी हाल ही में अमित शाह ने कहा कि 19 राज्यों में बीजेपी की सरकार है, जहां हम आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में हम दूसरे नंबर पर हैं। लेकिन इन राज्यों में एंटी-इनकंबेसी का फायदा बीजेपी को मिलेगा। साथ ही हम आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, 'साल 2019 का लोकसभा चुनाव मोदी सरकार की उपलब्धियों और हमारे संगठन की शक्ति के आधार पर लड़ा जाएगा।

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